Ye-Na-Thi-Hamari-Kismat-Suraiya-Ghazal-Lyrics
Ye Na Thi Hamari Kismat Suraiya Ghazal Lyrics
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तिज़ार होता
ये न थी
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तिज़ार होता
ये न थी
ये न थी
ये न थी हमारी क़िस्मत
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
ये न थी
ये न थी
ये न थी हमारी क़िस्मत
हुए मर के हम जो रुसवा
हुए क्यूँ न ग़र्क़ ए दरया
हुए मर के हम जो रुसवा
हुए क्यूँ न ग़र्क़ ए दरया
न कभी जनाज़ा उठता
न कही मज़ार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
ये न थी
ये न थी
ये न थी हमारी क़िस्मत
कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम कश को
ये खलिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तिज़ार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत
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